Jain, Vipin Kumar. (2002). +2 स्तर के विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशलों के विकास में शिक्षक व्यवस्था की भूमिका. Unpublished. ERIC, Education
Objectives/Research Questions:
1. केंद्रीय प्रायोजित योजना के अंतर्गत निर्धारित मानदंडो के सन्दर्भ में व्यावसायिक शिक्षा हेतु विद्यमान शिक्षक व्यवस्था का अध्ययन करना।
2. विद्यार्थियों के अंदर व्यावसायिक ज्ञान व कौशलों के विकास में विद्यमान शिक्षक व्यवस्था की भूमिका की जांच करना।
3. व्यावसायिक शिक्षकों की पाठ्यक्रम संबंधी और सामान्य व्यावसायिक दक्षता के स्तर का पता करना तथा उनके कार्य-दायित्वों व अधिकारों का अध्ययन कर इन्हें चिन्हित करना।
4. शिक्षकों के प्राप्ति के स्त्रोत, उनकी उपलब्धता तथा शिक्षकों के व्यावसायिक विकास के लिए किये गये और चलाये जाने वाले कार्यक्रमों का पता करना।
5.
व्यावसायिक
कौशलों के विकास में शिक्षकों की भूमिका को प्रभावित करने वाले पूरक संसाधनों और
विद्यालयीन प्रबंध व्यवस्था का अध्ययन
6. उक्त अध्ययन के आधार पर शिक्षक व्यवस्था को अधिक कारगर बनाने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को नीतिगत प्रतिवेदन प्रस्तुत करना।
Sample Size:
अध्ययन में शामिल इकाईयां :- राज्यों की संख्या 04, केंद्र शासित प्रदेश की संख्या 01, विद्यालयों की संख्या 36, पाठ्यक्रमों की संख्या 05, शिक्षकों की संख्या 91, विद्यार्थियों की संख्या 268
Tools:
बंद प्रश्नावली, एक अन्य प्रश्नावली राज्य शिक्षा/ व्यावसायिक शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार, अनुसूची एवं कौशल प्रदर्शन, अवलोकन व साक्षात्कार।
Method of Research:Statistical Techniques used:
गुणात्मक एवं मात्रात्मक दोनों शोध तकनीक का उपयोग किया गया जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं – सम्पादन, संकेत संख्या, सारणीयन, औसत, प्रतिशत, आरेख।
Findings:
अध्ययन में व्यावसायिक कौशल विकास की स्थिति के निष्कर्षों को राज्यवार प्रस्तुत किया गया है इस सम्बन्ध में कुल परिणामों से पता चलता है कि व्यावसायिक कौशल विकास की स्थिति में एक राज्य से दुसरे राज्य के अंदर एक विद्यालय से दुसरे विद्यालय के अंदर बड़ा असंतुलन है। सभी राज्यों के निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि +2 स्तर पर व्यावसायिक कौशलों के विकास में शिक्षक व्यवस्था की भूमिका जहाँ एक ओर कुछ राज्यों के अधिकांश विद्यालयों में निराशाजनक रही वहीं कुछ राज्यों में मिश्रित पाई गयी, जो कि खराब, साधारण, उत्तम, और अति उत्तम रही है किन्तु उत्कृष्टता के स्तर की उपलब्धि शून्य पाई गई। इस प्रकार व्यावसायिक कौशलों के विकास में शिक्षक व्यवस्था की भूमिका का जो पार्श्वचित्र उभरकर सामने आता है उसके लिए राज्यों द्वारा व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु अपनाई गयी कार्यप्रणाली के अंतर्गत जुटाई गयी शिक्षक व्यवस्था तथा शिक्षक व्यवस्था को प्रभावित करने वाली विभिन्न स्तरों की प्रबन्धन प्रणाली और पूरक संसाधन जिम्मेदार हैं।
प्रस्तुत अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि + 2 स्तर पर व्यावसायिक शिक्षा का संचालन करना पूर्व की तुलना में आज अधिक उपयोगी और अनिवार्य हो गया है। व्यावसायिक कौशलों के विकास को शिक्षक व्यवस्था प्रत्यक्ष प्रभावित करती है। जिन विद्यालयों में अनुभवी व विशिष्ट योग्यता धारी प्रशिक्षित शिक्षक कार्यरत हैं और उद्योग व्यवसायों से अच्छे सम्बन्ध हैं, उन विद्यालयों के विद्यार्थियों में कौशल विकास की स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी है। इस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी उभरा है कि उत्तम स्तर को पाने वाले शिक्षक व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के अध्यापन का कार्य अच्छे ढंग से कर रहे थे। इस प्रकार अच्छे स्तर की सामान्य व्यावसायिक दक्षताओं के धारक शिक्षकों और कौशल विकास के क्रियाकलापों में सकारात्मक सह-सम्बन्ध है ऐसा कहा जा सकता है। उत्तम स्तर की सामान्य व्यावसायिक दक्षता वाले शिक्षक, शैक्षिक दृष्टि से सुदृढ़ और अनुभवी थे तथा उन्होंने किसी न किसी रूप में कम से कम एक बार प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। इसके अलावा शिक्षक व्यवस्था को आधारिक संरचना तथा प्रबन्धन प्रणाली सीधे प्रभावित करती है. इनके ठीक होने अथवा नहीं होने से कौशल विकास के क्रियाकलापों में बड़ा विचलन पाया गया है।
Keyword(s): व्यावसायिक कौशलों, शिक्षक व्यवस्था